लद्दाख में राज्य का दर्जा आंदोलन हिंसक, लेह में BJP दफ़्तर जलाया गया, पुलिस फायरिंग में 4 की मौत
लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन बुधवार को हिंसक हो गया। लेह में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प के बाद पुलिस फायरिंग हुई, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और करीब 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
इस दौरान गुस्साए युवाओं ने BJP दफ़्तर में आग लगा दी को और कई जगह तोड़फोड़ की।
सोनम वांगचुक ने खत्म किया हड़ताल
क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक पिछले 35 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। घटना के बाद उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया। वांगचुक ने कहा कि लोग लंबे समय से वादों के पूरे न होने से निराश हैं और अब उनका गुस्सा फूट पड़ा है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि “हिंसा छोड़ो और संयम रखो।”
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की ओर से एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को लेह आ सकता है ताकि बातचीत आगे बढ़ाई जा सके।
क्यों भड़का गुस्सा?
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए और यहां छठी अनुसूची लागू की जाए, ताकि आदिवासी और स्थानीय लोगों के अधिकार सुरक्षित रह सकें।
हाल ही में 72 और 62 साल के दो बुजुर्ग जो वांगचुक के साथ भूख हड़ताल पर थे, अचानक बेहोश हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।
नेताओं की प्रतिक्रिया
ओमर अब्दुल्ला ने कहा कि लद्दाख आज खुद को धोखा खाया हुआ महसूस कर रहा है। 2019 में जब इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला था, तब लोगों ने खुशी मनाई थी, लेकिन अब वे निराश और गुस्से में हैं।
महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि सिर्फ संकट प्रबंधन से काम नहीं चलेगा। 2019 के बाद से हालात कैसे बदले हैं, इसकी गंभीर समीक्षा ज़रूरी है।
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वांगचुक का संदेश
वांगचुक ने दुख जताते हुए कहा कि “यह रास्ता सही नहीं है। हमारी लड़ाई शांति और संघर्ष से होनी चाहिए, हिंसा से नहीं।” उन्होंने माना कि युवा पीढ़ी अधीर हो चुकी है और अब उन्हें शांतिपूर्ण रास्ते पर टिकाए रखना चुनौती बन गया है।
हिंसा के बाद लेह प्रशासन ने चार या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी है। वहीं पुलिस का कहना है कि 56 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से पांच की हालत गंभीर है।
लद्दाख, जो हमेशा शांति और संयमित आंदोलनों के लिए जाना जाता था, अब हिंसक प्रदर्शनों की ओर बढ़ रहा है। यह न सिर्फ क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा है बल्कि देश की सुरक्षा पर भी असर डाल सकता है। अब सबकी नज़र केंद्र सरकार और 6 अक्टूबर को होने वाली बातचीत पर है।