जम्मू-कश्मीर: “I Love Muhammad” नारे पर Omar Abdullah का बयान – विवाद पर उठे सवाल
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने बुधवार को “I Love Muhammad” स्लोगन का बचाव करते हुए कहा कि इस पर आपत्ति केवल वही लोग उठा सकते हैं जिनकी सोच दिवालिया है। उन्होंने साफ कहा कि हर धर्म के लोगों को अपने ईश्वर, पैगंबर या गुरु के प्रति प्रेम और सम्मान जताने का अधिकार है।
ओमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा –
“अगर कोई अपने धर्म या पैगंबर से प्यार जताता है तो इसमें गलत क्या है? हमारे सिख भाई अपने गुरुओं के बारे में लिखते हैं, हिंदू भाई-बहन अपने देवी-देवताओं के नाम लिखते हैं। तो मुस्लिम समुदाय अगर ‘I Love Muhammad’ लिखता है तो इसमें आपत्ति कैसी?”
विवाद कैसे शुरू हुआ?
यह विवाद तब भड़का जब कानपुर पुलिस ने 4 सितंबर को ईद मिलाद-उन-नबी जुलूस के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर “I Love Muhammad” लिखे बोर्ड लगाने पर कई लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर दी। इसके बाद मामला राजनीतिक और धार्मिक रूप से बड़ा मुद्दा बन गया।
ओमर अब्दुल्ला का सवाल
अब्दुल्ला ने न्यायपालिका से भी अपील की कि इस मुद्दे पर तुरंत संज्ञान लिया जाए। उन्होंने कहा –
“सिर्फ तीन शब्द लिखने पर गिरफ्तारी कैसे हो सकती है? अगर कोई इसे अपराध मान रहा है तो वाकई उसकी मानसिकता पर सवाल उठते हैं। अदालत को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।”
अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
ओमर अब्दुल्ला के अलावा AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई अन्य बड़े नेताओं ने भी पुलिस की इस कार्रवाई पर नाराज़गी जताई है और इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
नतीजा क्या निकलता है?
यह पूरा मामला धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा है। सवाल यही है कि अगर दूसरे धर्मों के लोग खुले तौर पर अपने देवी-देवताओं का नाम लिख सकते हैं, तो मुस्लिम समाज को ऐसा करने से क्यों रोका जाए?